आई

Started by Vikas Vilas Deo, June 22, 2013, 02:52:33 PM

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Vikas Vilas Deo

आई हे ईश्वराचे
पवित्र-पावन नाव
माया,प्रेम,आपुलकी
व वात्सल्याने गजबजलेले गाव.

आई हे देवासमोर
सतत जळणारी निरांजन,
जगातील सर्वात मोल्यवान
कधीही न संपणारे धन.

आई हे प्रेम देणारा
अमृताने भरलेला झरा,
मनाच्या जखमेवर
मायेची फुंकर घालणारा वारा.

आई हे वात्सल्याने
काठोकाठ भरलेला सागर,
रसाळ मधुर वाणीने भरलेली घागर.

आई हे मृत्यूवर
मात करणारे अमृत,
सदा आशीर्वाद देणारा
देवतुल्य हस्त.

मिलिंद कुंभारे


sweetsunita66

एक बार मां बाह पसारे ,
मुझे सीने से लगा लो तुम ,
हृदय लगाकर एक बार मां ,
मुझे आंचल में छुपा लो तुम ,
ना रहे कोई  ख्वाहिश ,
और ना रहे वो अधुरापन ,
ढूढ रही हू गावं-गावं ,गली-गली मेरा बचपन ......  जिसके पास मां नही ,उन सबके लिए ...... क्यो की ये दुख वो ही जानते हैं ......... सुनिता 

vijaya kelkar

            सुंदर .................

कवि - विजय सुर्यवंशी.

सुनिता छान मातृभाषेबरोबर राष्ट्रभाषेवरही प्रेम....



एक बार मां बाह पसारे ,
मुझे सीने से लगा लो तुम ,
हृदय लगाकर एक बार मां ,
मुझे आंचल में छुपा लो तुम ,
ना रहे कोई  ख्वाहिश ,
और ना रहे वो अधुरापन ,
ढूढ रही हू गावं-गावं ,गली-गली मेरा बचपन ......  जिसके पास मां नही ,उन सबके लिए ...... क्यो की ये दुख वो ही जानते हैं ......... सुनिता

sweetsunita66

धन्यवाद विजय !कविता लिहायची सुरुवातच राष्ट्रभाषेतून झाली  ,,,,,,सुनिता