चारोळी

Started by aap, June 28, 2013, 12:32:30 PM

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चारोळी

कवितेला कल्पनेची भरारी

शब्दांची दुनिया न्यारी

भाव गंध सुमने सारी

शब्द शब्द साखर पेरी

                     सौ . अनिता फणसळकर   

मिलिंद कुंभारे


vijaya kelkar

       कधी कविता दिसते बालक
       अचंभित माता-पिता पाहून शावक
       वसुधेवर पाऊल टाकता बनले धावक
       सगे सोयरे होती वाचक,तेची पालक

rudra


sweetsunita66