अक्सर...

Started by rudra, July 01, 2013, 03:16:43 PM

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rudra

अक्सर डुबता राहा तुम्हारी नजरो के सागर मे... 
आजतरी शरीर सोडून माझ्या मनाजवळ येना
आती है तुफानो मे भी रुकावट पलभरकी...
विरहात मी तुझ्या घुटमळतो,अखेरचा श्वास मज देना
ऐ हमसफर तेरी बजुओको इसकदर फैला देना  ...
जाळून खाक हृद्य माझे,तुझ्या अश्रुनी राख भीजवू देना     
न जाने कब फना हो जावू इस दुनियासे...
फक्त तुझा आहे मी अखेरच,तुझात सामावून घेना 
                                                         
                                                - रुद्र

rudra

mitrano fakt ek prayatna aahe jara sambhalun ghya....
kahi badal astil tar nichint kalva.... :)

sweetsunita66

हिंदी अन मराठीचा मस्त जमलाय मेळ
भाषा असो कुठलीही उमजला भावनांचा खेळ
अभिनंदन आपका ,लाजवाब हुआ प्रयास तुम्हारा
इसके लिये तो मिलनाही चाहिये प्यार भरा सलाम हमारा ,,,सलाम जी सलाम !!!!! :) :)

कवि - विजय सुर्यवंशी.

रुद्रा यह गाना तो हीट है।
नेक्स्ट अक्सर के लिए फिट है।
इस गाने को शुट करने सारे कवि आऐँगे।
सुनकर यह कविता इम्रान हाश्मी के भी होश उड जाऐंगे। NICE TRY :D:D

मीना


अक्सर डुबते रहे तुम, भइया, सागर मे नजरों के उनकी
अक्सीर सुनो जो कहती हूं मैं, न डुबते तरते रहने को
.
.
.
नही अक्सीर, भइया, न डुबते तरते रहने को!
अनुभव करते रहो मजा का डुबते डुबते रहने का!

मीना

अक्सर डुबते रहे तुम, भइया, सागर मे नजरों के उनकी
अक्सीर सुनो जो कहती हूं मैं, न डुबते तरते रहने को
.
.
.
नही अक्सीर, भइया, न डुबते तरते रहने को!
अनुभव करते रहो मजा का डुबते डुबते रहने के!

rudra

mina tumhi tumch mat kontya prakare mandlay mala kharach kalal nahi..

मिलिंद कुंभारे

रूद्र छान प्रयत्न आहे,
पण प्रमाणिकपणे सांगायचे तर मराठी अणि हिंदी mix up योग्य नाही वाटत ...... :-\
त्यपेक्षा नुसतंच मराठी किंवा हिंदी वाचायला छान वाटते..... जसे कि ....


आजतरी शरीर सोडून माझ्या मनाजवळ येना
विरहात मी तुझ्या घुटमळतो,अखेरचा श्वास मज देना
जाळून खाक हृद्य माझे,तुझ्या अश्रुनी राख भीजवू देना     
फक्त तुझा आहे मी अखेरच,तुझात सामावून घेना  ..... हे असंच वाचायला मस्त वाटते .... तू try करून बघ ... :)

अक्सर डुबता राहा तुम्हारी नजरो के सागर मे...
आती है तुफानो मे भी रुकावट पलभरकी...
ऐ हमसफर तेरी बजुओको इसकदर फैला देना  ...
न जाने कब फना हो जावू इस दुनियासे......हे असंच वाचायला मस्त वाटते .... तू try करून बघ ...  :)

खूप दिवसांतून मला असंच काहीतरी लिहायचे होते पण सुचत नव्हते ,
तुझ्या ४ ओळी वाचल्या आणि मला जे काहीतरी सुचले ते खास तुझ्यासाठी ......

काश....
उस मदभरी, मदहोश शाम में
कोई हमसफर, हमनशीं होता,
जो यूँही पढ़ लेता, मेरी खामोश निगाहोंको,
महसूस कर लेता, मेरी दिल की धड़कनोंको .......
उस शाम का मंजर कुछ और होता .......
यूँ मुसाफिर की तरह न भटकते रहते हम,
अपना भी कोई आशियाना होता ......
बंजर सी उस धरती पर,
बस एक एहसास तेरा,
खिलता हुआ गुलाब होता ....
काश .....
उस मदभरी, मदहोश शाम में
कोई हमसफर, हमनशीं होता ........

मिलिंद कुंभारे

sweetsunita66

 वाह वाह   मिलिंद ! क्या बात है !! :)
 

Shona1109

Milind sir and rudr....you both are too good...keep it up