भूपाळी श्रीकृष्णाची

Started by kumudini, September 08, 2013, 06:45:04 PM

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kumudini

भूपाळी  श्रीकृष्णाची


ऊठ  रे  सावळ्या
जाग  रे  तान्हुल्या
जागवाया  तुला
प्राची  तेजाळली
येऊनी  अंगणी
थांबले  सौंगडी
ऊठ  गा  श्रीहरी
बोलली  माउली
धेनु  हम्बारल्या
साद  घाली  तुला
ऊठ  गा  सावळ्या
आता  सत्वरी
सूर्य  आला  नभी
तेज  पुंजाळूनी
जागवित  तुला
पवनही  गाउनी
करुनीया  मंथना
काढुनी  नवनीता
भरविण्या  तुला
थांबले  मी  उभी
कुरवाळुनी  मुखा
घेतसे  चुंबना
हासुनी  गाली  तो
जागला श्रीहरी
                                 कुमुदिनी  काळीकर