दिवाळी कालची दिवाळी आज

Started by kumudini, October 28, 2013, 01:24:33 PM

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kumudini

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मागची  दिवाळी  मागेच  राहिली

आजची  दिवाळी  नवीन  आली

पणत्यांची  रोषणाई  संपून  गेली

उघडझाप  करणाऱ्या  दिव्यांची  माळ  आली

रांगोळी  गेली  रंगही  गेले

स्टिकरचे  चित्र  येऊन  बसले

मोतीचुराचा  लाडू  नकोसा  झाला

चोकलेट  जीभेला  मिठी  मारून  बसला

चकलीचे  काटे  टोचायला  लागले

पिझ्झाचे  चीज  आवडायला  लागले

चिरोटा  गेला  करंजी  गेली

कुरकुरीत  नानखटाईने  बाजी  मारली

पुरणाची  पोळी  उदास  झाली

खव्याची  केक  गर्वाने  फुगली

दिवाळीची  पंगत  फोटोत  पाहिली

बफेची  पार्टी  टेबलावर  सजली

हाताने  खायचा  वरण  भात  गेला

इडली  सांबार  तोऱ्यात  आला

शुभेछा  कार्डांची  देवाण  घेवाण  झाली

दुसऱ्या  दिवशी  त्याची  रद्दी  झाली

कधी  आली  दिवाळी  कधी  गेली

काहीच  नाही कळून  आली

                                                    कुमुदिनी  काळीकर

Jawahar Doshi


मिलिंद कुंभारे

कधी  आली  दिवाळी  कधी  गेली
काहीच  नाही कळून  आली........

:'( :'( :'(

Çhèx Thakare


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