नंदनवन

Started by sweetsunita66, January 23, 2014, 01:35:06 PM

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sweetsunita66

 जब पेड था विशाल हराभरा
चहचहो का संगीत गुंजता था
हर आने जाने वाले मुसाफिर को 
शीतल मनभावन छाया देता था
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उसकी शीतल छाव तले
बच्चो कि मुस्कान खिलती थी
तरह तरह के खेल खिलाडी
और दोस्ती यारी पलती थी
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प्रेम के कच्चे धागे भी यहां
और भी अटूट होते थे
इसकी भव्यता कि  साक्ष देकर
प्यारा बंधन जन्मो  तक निभाते थे
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अब कैसा ये अनर्थ हुआ है
जो काट दिया ऐसे वृक्ष को
जहा हसी के फव्वारे चलते थे
वहां शमशान विरानी खलती है
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कब आयेगी समझदारी हमको
ये वृक्ष ही  हमारे  पालनहार है 
इसकी शीतल  छाव तले
जीवन सुहाना गीत गाता  है .
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मेरी बस इतनी अरज है सबको
पेड लगाओ और पेड जगाओ
इस कृष्ण कन्हाई के मधुबन को
हो सके तो प्यारा  नंदनवन बनाओ
                                           सुनिता ......
                                                    २३जानेवारी २०१४ :) :)