चारोळ्या

Started by harshda kanade, February 04, 2014, 12:41:19 PM

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harshda kanade


शब्दांना  भावरूप  देते  तेच  खरे  पत्र
  नात्यांना  जोडून  ठेवते  तेच  खरे  गोत्र
    नजरे  पल्याड  पाहू  शकतात  तेच  खरे  नेत्र
      दूर  असूनही  दुरावत  नाही  तेच  खरे  मैत्र

harshdakanade

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शब्दांना  भावरूप  देते  तेच  खरे  पत्र
  नात्यांना  जोडून  ठेवते  तेच  खरे  गोत्र
    नजरे  पल्याड  पाहू  शकतात  तेच  खरे  नेत्र
      दूर  असूनही  दुरावत  नाही  तेच  खरे  मैत्र


प्रशांत पवार


कवि - विजय सुर्यवंशी.


मिलिंद कुंभारे


vijaya kelkar

      आले पत्र, वाचती नेत्र, जुळले गोत्र, बनले अटूट मित्र
    मोहरला चैत्र,सुगंधाचे सत्र,हळदी-कुंकवाचे पात्र,सांडले सर्वत्र

Jawahar Doshi


Ravi Padekar