राम आले आज घरी

Started by कवि । डी....., March 23, 2014, 10:57:05 PM

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कवि । डी.....

आज  येणरी  रामनवमी  निमीत्त   माझी  ही  कविता   प्रभु  श्री   रामचंद्र  यांच्या   चरणी  अर्पण.

राम   आले  आज   घरी
सयांनो, गुडी  उभारा  दारी

एक  वचनी , एक  पत्नी
अन्   सीतामाई    ती
लक्ष्मणही  बरोबरी
राम  आले  आज  घरी

चौदा  वर्षे   वनवास
भोगीला  जाण  शब्दास
भरत  त्यांचे  चरण  धरी
राम  आले  आज  घरी

ऊतावीळ  माझे  मनी
पहावे  मुख  सुंदर  डोळ्यांनी
आनंदीली  ही  आयोध्या  नगरी
राम  आले  आज  घरी

राम  आले  आज  घरी
सयांनो , गुडी  उभारा दारी. ....


                 । कवि-डी ।
                  स्वलिखीत
                 दि. 23.03.2014
                वेळ. रात्री. 10.56