वाटे मनास

Started by kumudini, March 26, 2014, 07:51:28 PM

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kumudini

            वाटे मनास
वाटे मनास  माझ्या  मी  मोहरून  यावे
फुलपाखरापरी मी  स्वच्छंद  बागडावे 
करुनी  झुला  लताचा  मी  उंच  झुलत  जावे
नाजुकशा  कळ्यांना  हलकेच   गोन्जरावे
तो  स्पर्श  जाई  जुईचा  मी  मोरपीस व्हावे
त्या  गर्द  हिरव्या  कानी  हितगुज  मी  करावे
गंधीत  सोनचाफे श्वासात  मी भरावे
विसरून  सर्व  काही माझ्यात  गुंग  व्हावे
मृगातल्या सरीत  भिजूनी  सचैल  न्हावे
जोत्स्नेत  पौर्णिमेच्या  न्हाऊन  मी  निघावे
आयुष्य  हे  असे  संगीत  गीत  व्हावे
मनसोक्त  भोगूनिया  संपून  मीच  जावे
                                   कुमुदिनी काळीकर