का आहे प्रेमात मी ...!!

Started by कवि । डी....., May 01, 2014, 12:37:44 AM

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कवि । डी.....

बैचेन  माझं  मन
तुला  बोलण्यासाठी
जादू   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुला  भेटण्यासाठी
ओढ   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन  माझं  मन
तुझ्या  संगतीसाठी
माया   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुझ्या  स्पर्शासाठी
किमया  आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन  माझं  मन
तुझ्या  ओठासाठी
गोडी  आहे  का  तुझी
का   आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुझ्या   हसण्यासाठी
विनोद   आहे   का  तुझा
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!


         । कवि-डी ।
            स्वलिखीत
            दि. 01. 05. 2014
             वेळ . रात्री. 00 .38

शिवाजी सांगळे

छान कविता,

बैचेन  माझं  मन
तुला  ओठासाठी... फक्त " बैचेन माझं मन, तुझ्या ओठासाठी " कसं वाटेल?
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९

मन

बैचेन  माझं  मन
तुला  बोलण्यासाठी
जादू   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुला  भेटण्यासाठी
ओढ   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन  माझं  मन
तुझ्या  संगतीसाठी
माया   आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुझ्या  स्पर्शासाठी
किमया  आहे  का  तुझी
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन  माझं  मन
तुझ्या  ओठासाठी
गोडी  आहे  का  तुझी
का   आहे  प्रेमात  मी ...!!

बैचेन   माझं  मन
तुझ्या   हसण्यासाठी
विनोद   आहे   का  तुझा
का  आहे  प्रेमात  मी ...!!