* खामोशी *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 23, 2014, 03:20:03 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

मेरी खामोशी किसी तुफानसे कम नहीं
खुल गयी जुबान तो कयामत ढाएगी वहीं
हर लफ्ज़ बनेंगा शोला और मचाएगा तबाही
इसिलिये अच्छी लगती है हमें खामोशी की गहराई...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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Mumbai