शायरी एक शराबी की .....

Started by Surya27, October 26, 2014, 12:10:02 AM

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Surya27

मुझे अपनोनेही लुटा गैरो में कहा दम था
मेरी कश्ती डूबी वहा जहा दारू मिलना मुश्किल था

रात रात भर जगता रहा उसके खयालों में
जब भी खुली मेरी आँखे पाया उसे प्यालो में

ना दुनिया से करू कोई शिकवा ना है कोई गम
मिल जाये अगर थोडीसी व्हिस्की या रम

दुनियासे रुखसत होने से पहले बस एक ही ख्वाहिश होगी
मेरी अर्थी पर इत्तर के बदले  बुँदे शराब की ही होगी   

जनाजे में मेरे हर शख्स को पीकर ही आना होगा
मेरे जनाजे को कन्धा सिर्फ एक शराबी ही देगा 

जलाने के पहले एक बोतल मेरे बाजु में रख देना
लकडियों पर रॉकेल के बदले शराब छिड़क देना

साल में एक बार मुझे याद जरुर कर लेना
मेरी तस्वीर के सामने एक बोतल शराब की रख देना

............................................................. सूर्या