प्रिय आईस......

Started by shirke vinay, October 26, 2014, 11:11:35 AM

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shirke vinay

आई म्हणजेच आपला जीव,
आई म्हणजेच सर्व काही.....
आईविना सार शुन्य,
आईविना गणीतच नाही.....
                               कवी. विनय शिर्के.9967744137