नफरतों के बाजार में

Started by Shraddha R. Chandangir, November 02, 2014, 01:28:25 PM

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Shraddha R. Chandangir

नफरतों के बाजार में जीनेका अलग
ही मजा है....
लोग मुझे "रूलाना" नहीं छोडते.....
और मै "हसना" नहीं छोडती....

- अनामिका
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Naval Dongardive.

कितने फुलो सें नाजुक,
तेरे ये बोल है।

ये मोहब्बत कें पल भी,
कितने अनमोल है।

                नवल डोंगरदिवे,
               8411011065.