"नजर" नही कभी "नजरिया" बदल के देखो.

Started by Shraddha R. Chandangir, November 04, 2014, 11:59:23 PM

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Shraddha R. Chandangir

हमेशा जरूरी नही की आखे
जो देखे और कान जो सुने वही सच हो.
जीस तरह एक आम ईनसान सोना और
पीतल मे पेहेचान नही कर सकता,
ठीक उसी तरह वो झूट और
गलतफहमी की पेहेचान
भी नही कर सकता. "नजर"
नही कभी "नजरिया" बदल के देखो.
- अनामिका
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