शिंपल्यातील मोती

Started by kasturidevrukhkar, November 09, 2014, 12:37:29 AM

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kasturidevrukhkar

जगात  अशा  अनेक  गोष्टी  असतात  ,
ज्या  भावनांची  तार  छेडत  जातात
काळजाची  धड धड  वाढते ,
विचारांची  नौका  गलबलू लागते
आणि  मग  डोळ्यातील  अश्रूंना  वाटा मिळू  लागतात.

ऐन  दुपारची  वेळ ,
शांत  दूर वर  पसरलेला समुद्र  किनारा,
तो  आणि  ती  फक्त  दोघेच ,
तीचा  हात  त्याच्या  हातात  ,
निरव  शांततेत  पसरलेला
गंध  मात्र  दोघांच्याही  श्वासात

हळूहळू  सूर्याची  प्रखर  तेजस्वी  किरणे
मंद  होतात
मग , सोनेरी  संधिप्रकाशाची  शाल
दोघेही  अंगभर  ओढून  घेतात

बघता   बघता  ,
चांदण्यांची  नक्षी  घेऊन ,
रात्रीची  रजई   लक्ष  वेधून  घेते ,
दोघांनी  पापण्या  घट्ट  मिटून  घेता ,
नीज  हळूवार  येते

दोघांचा  जीव  एक मेकात  विलीन  होतो ,
पहाटेच्या  अल्हाददायक  रेश्मी  कोंदणात  मग ,
शिंपल्यातील  मोती  जन्म  घेतो.
 
              -  सौ.   कस्तुरी  कुणाल  देवरुखकर .