आज ईस तनहाई से डर लगने लगा है.....

Started by Shraddha R. Chandangir, November 15, 2014, 11:29:39 PM

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Shraddha R. Chandangir

आज ईस तनहाई से डर लगने लगा है
आने वाले तुफान का ये मंजर लगने लगा है
ईस बेदर्दी से तोड़ा था ईक दील जो मैंने,
उन्ही बद्दुआओका ये असर लगने लगा है।

पलकों की ईन अश्को मे, जहर लगने लगा है
अपनीही बर्बादी का ये कहर लगने लगा है
मोहोब्बत की दुनिया जो उजडी थी कीसीकी,
आज मातम से सजा मेरा शहर लगने लगा है।

शोहरत और रूत्बा अब बेकार लगने लगा है
आईने मे ये अक्स मेरा लाचार लगने लगा है
जीतेजी जो कतल कीया था कीसीको मैने
मेरा ही कीरदार, मुझे गुनहगार लगने लगा है।

- अनामिका
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