दोस्त तू

Started by शिवाजी सांगळे, December 06, 2014, 12:29:35 AM

Previous topic - Next topic

शिवाजी सांगळे

दोस्त तू

गुम है हर कोई
अपने ही आप में;
थांमे बैठा हर शक्स
मोबाईल अपने हाथों मे।

नहीं खबर यहां किसे
हरएक है परेशानी मे;
क्युं छुपाता है राहगीर
जाना है कौन गलीमें।

देर है शाम ढलने 
सुरज भी आसमां मे;
यूं ना जा अभी
दोस्त तू मयखाने मे।


© शिवाजी सांगळे
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९