* कसम *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, February 16, 2015, 09:27:30 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

भुलाकर तुझे जी रहा हू में
हो जिक्र तेरा जहा कहीपर
अक्स भी अपना वहासे छुपा रहा हू में
कसम तुझसे दुर रहने की सनम
बहखुबी निभा रहा हू में...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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