* शैतान *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, February 23, 2015, 02:21:49 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

* शैतान *
देख तेरी मौहब्बत में सनम
जमाने ने हमको क्या कर दिया
था में शहजादा तेरे सपनों का
धोकेसे मुझको शैतान बना दिया

रास ना आइ उनको मेरी मौहब्बत
जो नींदमे मुझपर मंतर मारा
था सुंदर जिस्म कभी मेरा
आज बना है शैतान का बसेरा

ना मिले खुदा कोइ गम नही
है शैतानीयत गर किस्मत मेरी
तो ये शैतानीयत ही सही
तु मिल जाए मुझको है चाहत यही

देखो यु ना मुझे छोडकर जाओ
तेरे बिना मेरा यहा कोइ नही
जिस्म हो चाहे शैतान मेरा
लेकिन दिलसे में शैतान नही.
कवी-गणेश साळुंखे. ( GS ) .
Mob-7715070938