* बाजी *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, February 28, 2015, 12:25:38 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

खुदको बादशहा या सिकंदर समझनेवालो
गौरसे मेरी बात भी जरा तुम सुनलो
वक्त का तकाजा रहा है आजतक देखलो
के बाजी हमेशा एकके हात नही रहती ये जानलो...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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