* प्रेमरंग *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, March 05, 2015, 04:19:53 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

होली की शुभकामनाए
कान्हा → राधासे

आयी होली तु मुझको
रंग रंगाने दे राधा
नवरंग से चुनर तेरी
आज भिगोने दे राधा

राधा → कान्हासे
काहे भुल गया तु
अरे बावरे नटखट कान्हा
में तो कबसे रंगी हुं
तोरे प्रेमरंग में कान्हा...!
कवी-गणेश साळुंखे...!
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