* तेरा नाम *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, April 02, 2015, 12:25:43 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

किसीकी महफिल में भी
जाना अब गुनाह लगता है
लोग बारबार फर्माइश करते है
के कोइ दर्दे-दास्तान सुनाओ
और न चाहते हुए भी
जुबाँ पे तेरा नाम आ जाता है.
कवी-गणेश साळुंखे.
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