का आस वागली नाहीस तू

Started by dattarajp, May 19, 2015, 04:48:43 PM

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dattarajp

का आस वागली नाहीस तू

का मला ओळखली नाहीस तू 
का मला समजली नाहीस तू
का मला  बोलली नाहीस तू
का मला सांगितली नाहीस तू

का माझे स्वप्न सजवली नाहीस तू
का माझे मन वाचली नाहीस तू
का माझे प्रेम समजली नाहीस तू
का माझे प्रेम पत्र वाचली नाहीस तू

का मला प्रियकर म्हणली नाहीस तू
का मला हासवली नाहीस तू
का मला नकार दिलीस तू
का मला वेढा बनवलीस तू

का माझ्या प्रेमात पडली नाहीस तू
का माझ्या मीठीत आली नाहीस तू
का माझ्या मनास मन भीडवली नाहीस तू
का माझ्या आयुष्यात  आली नाहीस तू

                                  कवी
                                 बबलु
                          9623567737

शितल

kavita aavadli nahi...... kahi tari mnat bhidel ase lihave.....

महेश रा. केसरकर

Ka hi kavita lihili tumhi...
Sorry but u r asking questions only. Kavitesarkh vatude thod.