ना जाने ये दिल क्या चाहता है.…

Started by शितल, May 21, 2015, 06:05:29 PM

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शितल


ना जाने ये दिल क्या चाहता है....
जब पास होता हे वो लम्हा,
तब मुझे अपना लगता नहीं है....   
जब मिलके भी न मिलता हे वो
तब दिल उसे भूल पाता नहीं है.... 

मंजिल तो दिखाई देती हे, मगर
रास्ते मेरे अनजान है ...... 
सारे अपने तो हे मगर
कोई रास्ता बताता नहीं है.......

दिल में बेपन्हा मोहोब्बत हे, मगर
होंठ चुपचाप है ...
खामोश लब्जोसे कहती हूँ कुछ मगर
कोई ये लब्ज समझ पाता नहीं है......

ख्वाबों में वो आता है और
यकीन दिलाता है,
दिल में मेरे लिये प्यार है, मगर
दिल खोलके मुझे ये बताता नहीं है.........


शितल...