धर्म या अधर्म

Started by sanjay limbaji bansode, May 27, 2015, 07:07:12 PM

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sanjay limbaji bansode

जाती जाती मे धर्मों धर्मों मे
बट गये सारे इंसान
बच्चो को भी सिकाया इसने
जो था इससे अंजान !

पैदा होते ही उसपर
धर्म का टीका लगाया
अपना धर्म है सबसे प्यारा
उस नादान को सिकाया !

पढ़ने लगा जब वो बच्चा
तब धर्म पुराण बताया
धर्मके तत्वों परही चलना ?
उस मासूम को सताया !

बच्चा जब बड़ा हुआ
धर्म के जाल मे फँसा हुआ
दूसरे धर्मपर चिड़ा हुआ
जिहादके नामपर खड़ा हुआ !

पिया था अब उसने भी
धर्मविष का प्याला
छीन लिया था धर्मने उसका
इंसानियत का निवाला !

धर्म के दुश्मनों को सबक सिकाकर
हो गया धर्म रखवाला
हरा लाल नीला सफेद
किया रंगो का बँटवारा !

कटने लगा अब थोडा थोडा
हिंदुस्तान हमारा
पैदा हुआ था एक अलग ही धर्म
जो था भगवान से भी न्यारा !


संजय बनसोडे
9819444028