मन !

Started by Parmita, December 09, 2009, 04:22:22 PM

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Parmita


मन !

नि: स्तब्ध शांतता
एक अगतिक जाणिव 
घुसमटलेला श्वास आणि थिजलेली मन !

            सुरुवात एका क्षणाची की,
            मृत्यू  एका निमिषाचा
         याच कोलाहलात गोंधळलेली मन  !

बधीरलेली इंद्रिय
गोठत  जाणारा क्षण
तरीही सार्यात  'जगण्यासाठी'  अधिरलेली मन!

               सभोवताली 'भटियार'
               पण  आत 'मारवा' अन
          गडद होवून सांजावलेली गहीवरणारी मन!