* शीशे का दिल *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, July 19, 2015, 03:46:46 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

पत्थर की इस दुनिया में
शीशे का दिल है मेरा
बचते बचाते चलता हुँ सबसे
के कही टुट न जाए दिल मेरा.
कवी-गणेश साळुंखे.