* कोहीनुरसा बदन *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, August 29, 2015, 10:53:16 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

संगेमरमरसा हुस्न देखा जो तेरा
पिघल गया ये पत्थरदिल मेरा
मानों उपरवालेने कोइ पत्थर तराशा
तब जाकर बना कोहीनुरसा बदन तेरा.
कवी-गणेश साळुंखे.
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