एक बार जाना है मुझे School....

Started by Ravi Padekar, September 10, 2015, 02:58:32 PM

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Ravi Padekar


कैसे भुलेंगे हम वो दिन
कैसे भुलेंगे हम वो दिन
जब हमारी मा भेजती थी,
हमे स्कूल, लगाकर जेब रुमाल को पिन

कैसे भुलेंगे हम वो Dost
कैसे भुलेंगे हम वो Dost
इतने झगडने के बाद भी
रहते थे एक दुसरे के Almost

टीचर बोलती थी हमे,
टिफिन निकाल के रखो, कोने पे
लेकीन नजर खिडकी के बाहर,
वो पहली बारीशो के बुंदो पे
फिर चॉक आता था कन्धों पे
टीचर कहती थी हमे, ध्यान है तेरा कहा पे

Recess के टाइम
अकेले कोने मे बैठके टिफिन खाना
कई दिन पेहचान होने के बाद
किसिका का टिफिन खाली न छोडना

लपाछुप्पी खेल मे वो,
बेंच के नीचे छुपना
एक दुसरे को पकडने मे,
वो घुटनो पे कया गिरना
Drawing के लेक्चर मे,
वो हात रंगीन से हो जाना
प्रॅक्टिकल के टाइम,
वो कांच के चिजो को संभालना

याद आये थे वो पल
जब दोस्त मिले थे कल
एक बार जाना है मुझे School
जिसके वैजसे हम हुवे थे cool....!!

                                             कवि:- रवी सुदाम पाडेकर
                                                      घाटकोपर, मुंबई
                                                      मो.- ८४५४८४३०३४