* हमारे लिए *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 15, 2015, 09:52:25 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

ए बेरहम जरुरी नही के
हम तेरे गम के साथ जिये
वो तो हम ही मेहरबान थे तुमपर
वरना हजारो दिल धडकते है
आज भी हमारे लिए.
कवी - गणेश साळुंखे.
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