खामोशी भी कर देती हैं ख्वाहिशें दिल की बयान...

Started by Shraddha R. Chandangir, September 21, 2015, 11:33:09 PM

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Shraddha R. Chandangir

नासमझ वो कहता हैं मैं रिश्ता मिटाने को आता हूँ
मैं तो झगड़-झगड़ के मोहब्बत जताने को आता हूँ।
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फासलो से कहाँ मिटती हैं बेचैनियाँ ये दिलों की
मैं तो यूँ टकरा के मोहब्बत निभाने को आता हूँ।
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हँसने वाले कहाँ कभी सच्ची मोहब्बत करते हैं
तुझे मैं जानता हूँ तभी तो रूलाने को आता हूँ।
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खामोशी भी कर देती हैं ख्वाहिशें दिल की बयान
मैं भी सब समझता हूँ, ये समझाने को आता हूँ।
~ अनामिका
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शुभम कनकावाड

"शिव प्रेमी शुभमराजे कनकावाड"   

आईने सांगितले की दररोज
देवाच्च्या पाया पडायच आणि देवा
सारखं
राहयच....।
म्हणून रोज
शिवरायांच्या पाया पडतो आणि
तलवार घेऊन
फिरतो...।।
हमारी शक्सियत का अंदाज़ा तुम
क्या लगाओगे
हम तो कब्रीस्तान से भी गुज़रते
है,
तो मुर्दे उठ कर कहते है,
" भाऊ जय महाराष्ट्र "....