* हाल-ए-दिल *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 02, 2015, 09:44:02 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

हाल-ए-दिल बयां करने से
अब क्या होगा हासिल
जब वोही बदल चुके हैं
तो कहासे मिलेगी मंजिल.
कवी - गणेश साळुंखे.
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