* मोहब्बत *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 06, 2015, 02:39:01 PM

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कवी-गणेश साळुंखे


हाँ मोहब्बत तो में करना चाहता हूं
पर चोट खानेसे डरता हूं ( डबल)

मिल जाए कोइ मुझको पगली दिवानी
हाँ में उसका ही इंतजार करता हूं
अंजान हूं में उससे तो अभी
इसलिए चाँद का दीदार करता हूं
           हाँ मोहब्बत तो में...
तेरे दिलमें तो में रहना चाहता हूं
बनके धडकन तेरी धडकना भी चाहता हूं
करलुँ में सजदा यार के दर पे
पर रुठ जाए खुदा इससे डरता हूं
             हाँ मोहब्बत तो में...
सदियोंसे तरसा हूँ में इस मोहब्बत को
पर ज्युदाईसे में यूँही डरता हूं
किस्से सुने हैं मैंने कई इस प्यार के
मिलते हैं गम हिस्से में यार के
            हाँ मोहब्बत तो में...
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938
Mumbai