* हँसी की कीमत *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 24, 2015, 06:44:59 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

अपनी हँसी की कीमत
चुकानी पडी हमें रो-रोकर
और जालीम दुनिया पूछती हैं
क्या तुम्हें मुस्कुराना नहीं आता.
कवी - गणेश साळुंखे.
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