* रुठे हुए *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 25, 2015, 01:54:46 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

रुठ भी जाए हम तो
हमें मनाता कोई नहीं
इसलिए हम खुद ही
रुठोंको मना लेते हैं.
कवी - गणेश साळुंखे.
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