बेमतलब इक सिक्के की भी कोई खैरात नहीं...

Started by Shraddha R. Chandangir, October 29, 2015, 12:23:02 AM

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Shraddha R. Chandangir

मैंने महसूस किया उसके अच्छे हालात नहीं
वर्ना खून मेरा न खोले, ऐसी कोई बात नहीं।
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दुश्मनी पे उतरू तो खाक हो जाए दोस्ती भी
पर इंसानियत भूल जाऊँ, ऐसी मेरी जात नहीं।
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पाकीजा नियत को, बुजदिल ही कहगा जमाना
मश्वरा भी वो देंगे हैं जिनकी खुदकी औकात नहीं
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फकीर की भी झोली से दुआए बटोरी जाती हैं
बेमतलब इक सिक्के की भी, कोई खैरात नहीं।
~ अनामिका
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