* बूँद *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, November 01, 2015, 05:01:27 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

तु एक समंदर है
तो में बूँद बन जाऊँगा
लाख कोशिश करुँ तो भी
तुझसे ज्युदा ना हो पाऊँगा.
कवी - गणेश साळुंखे.
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