प्यार की कबर

Started by saru, December 15, 2009, 01:56:50 PM

Previous topic - Next topic

saru


नफ़रत थी जिस बात से
आज जी रही हूँ उसी से
कह दिया था खुदा से
दूर हमे रखना इस बात से
न जाने क्यो वो घड़ी आई
जिसका इंतजार ही न था कभी
अंजाना वो पल था
अंजाना वो सफर था कभी
ए खुदा एक दुवा कर
जो जिंदगीभर साथ न छोडे
ऐसा कोई बहाना कर।


बार बार देते रहे तुम
हमें इस बात का एहसास
जान न सके हम
पहचान न सके
क्या इसी इंतजार में हम रुके थे
इस बात को हम समझ न सके
लिया था इम्तहा उसी पल का
जिसको हम भूल न सके
वह बात इन यादों में दफ़न हो गयी
ए खुदा तेरी मुराद शायद पुरी हो गयी।


इंतजार उस पल का कर रहे थे हम
कुछ जी रहे थे हम
कुछ मर रहे थे हम
दफ़न हो गयी वो सारी बातें
जो कभी जिन्दा थी इन यादों में
जख्म दे कर हमे जख्मी बना गए
आँसुओ से लिखी इस कहानी को
अधुरा बना गए
माफ़ करना ए खुदा
उस पल के बिना हम जीना भूल गए।


रहम कर उस बन्दे पर
खुश रखना उस प्यार को
दुखों के समुन्दर में हमे डूब जाने दो
सुख का हर किनारा बना उसे दो
इन यादों को जिन्दा रहने दो
टूटे हुए इस आईने को फ़िर एक बार जुड़ने दो
बिखरे इन काँच के टुकडों को
हमारे पेरोतले चुभने दो
जखम उस दिल को होकर
आँसू हमारे बहने दो
दफनाकर इन यादों को
जिन्दा रहने दो
कबर इस प्यार की
फूलों से सजाये रहने दो।


...SARIKA

santoshi.world


Rahul Kumbhar

NO LANGUAGE OTHER THAN MARATHI SHOULD USED ON MARATHI KAVITA..
TOPIC CLOSED