न हमसे कोई नाराजगी, और मोहब्बत भी हमीसे...

Started by Shraddha R. Chandangir, November 06, 2015, 01:26:02 AM

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Shraddha R. Chandangir

जो शिकवे थे बरसों से वो पल में खत्म हो गए
ये मेहरबानी थी हमपे, या नए सितम हो गए।
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न हमसे कोई नाराजगी, और मोहब्बत भी हमीसे
हैरत हैं के हमको भी ये कैसे कैसे भरम हो गए।
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आखिर मोहब्बत से आजादी? वाह क्या सजा हैं
चलो शुक्र हैं ऐ मालिक, तेरे हमपे करम हो गए।
~ अनामिका
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मुकम्मल गजल फिर कभी....
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