उन्हें भुल के उन पर इक एहसान कर आएं हैं...

Started by Shraddha R. Chandangir, November 08, 2015, 03:48:57 PM

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Shraddha R. Chandangir

उन्हें भुल के उन पर इक एहसान कर आएं हैं
जरा देखिए हम मुनाफे में नुकसान कर आएं हैं।
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बड़ी नाजो से संभाले थे इक अरसे से जो गुलाब
आज अपने ही गुलिस्ताँ को हम शमशान कर आएं हैं।
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अपनी ही मिल्कीयत में वो था जो दिल अब तक
उसी दहलीज पे खुद को इक मेहमान कर आएं हैं
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इस खामोशी से निभाया फर्ज सच्ची मोहब्बत का
की लगता हैं अब खुद को हम बेजुबान कर आएं हैं।
~ अनामिका
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