==* इंसानियत *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, December 07, 2015, 12:55:45 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

लोग कहते है
लोग कहते है नर्क बुरा है
वहा दर्द का जलजला है
मै कहता हु
मै कहता हु नर्क क्या है
यहा जिंदगी बुरी बला है

रोज नये तमाशे
रोज नये तमाशे इंसानके
झगडे देखलो घर घरके
इंसानही काटता
इंसानही काटता इंसानको
जिंदगी सायेमे खौफके

हर कदम दगा
हर कदम दगा देती संगत
यकीन करे भी तो किसका
अपनेही छोडते है
अपनेही छोडते है दर्द मे साथ
ये तो नही संस्कार संसारका

देखा न कभी
देखा न कभी नर्क किसीने
है ऐतराज वहा सबको जानेमे
इंसानको कहा
इंसानको कहा लगता है डर
आज कल इंसानियत भूलानेमे

इंसानियत भूलानेमे

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शशिकांत शांडीले (SD), नागपूर
भ्रमणध्वनी – ९९७५९९५४५०
दि.०७/१२/२०१५
Its Just My Word's

शब्द माझे!