* जिद *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, December 15, 2015, 08:21:37 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

हमारी जिद के आगे तो
खुदा भी खामोश बैठा है
यकीन ना आए तो देखलो
मंदिर में पत्थर बना बैठा है.
कवी - गणेश साळुंखे.
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