* रूठना *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, December 15, 2015, 10:15:42 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

वो बार बार रुठ जाते हैं
क्योंकि हम उन्हें मना लेते हैं
उन्हें क्या मालूम बिछडने का गम
उनसे अभीतक कोई रुठा नही है.
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938