==* जिंदगी एक कश्ती *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, December 17, 2015, 03:37:14 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

कुछ वक्त के सितमसेे हम सिहरसे गये
कुछ यादो मे उनके हम बिखरसे गये

जा धुंड ला पल जो बीते उनके सायेमें
जो देखे थे मैंने सपने सारे तुटसे गये

मौसम था खुशनुमा थी बहारसी सजी
उसी बहार में जिन्दगीके पन्ने झळसे गये

तुटा हुवा है शीशा आजभी उस घरका
जिंदगी की राहो मे हम यु भटकसे गये

कागज़ की कश्ती कुछ डूबी इस तरह
कभी पास थे किनारे अब वो छुटसे गये
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शशिकांत शांडिले(SD), नागपूर
दि.१२/१२/२०१५
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शब्द माझे!

MarathiTechVishwa

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