* असर *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, December 24, 2015, 11:08:08 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

वो कोई और होंगे हुस्न के गुलाम
जहां तेरी अदा बिजली गिराती होगी
तु लाख चाहे देख हमको पलटकर
पर कुछ असर ना कर पाएगी.
कवी - गणेश साळुंखे.
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