बोझ मेरे दिल का

Started by GOKUL SONAWNAE, December 24, 2015, 03:10:53 PM

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GOKUL SONAWNAE

एक शख्स को खोने का
डर क्यो नही जाता...
यह बोझ मेरे दिल से
उतर क्यो नही जाता.....

मंझिल पे पोहोंच के भी
उसे खोना पडेगा...
उसकी जुदाई मे आंखोंको
भिगोना पडेगा .....
यह तय है फिरभी
शौक-ए-सफर क्यो नही जाता....
यह बोझ मेरे दिल से
उतर क्यो नही जाता....


मैने सुबह और शाम
चाहा है उसको...
दिन रात दुआओ मे
मांगा है उसकों ..

फिर भी यह दिल
सूकून क्यो नही पाता ...
यह बोझ मेरे दिल से
उतर क्यो नही जाता...

निशब्द

pravin Kumar

Sacchi mohabbat kavhi khatam nahin hoti
Bas waqt ke sath khaamosh ho jaya karti hai

radhesanjana