==* जो हुवा *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, January 07, 2016, 02:46:19 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

मै भी न करू तकरिरे खुदा ये क्या सितम है
ये तो पैमाने लिखें थे बदनाम तकदिर के

कुछ ठहरी हुई दास्ता मै बढ़ रहा हु मगर
ये अफसाने लिखें थे मेरे कुछ उम्मीद के

शौक से मुस्कुराईये हाल-ए-दिल परेशा
जख्म दिलपर दिखते तुटे उन्ही सपनो के

मिलेगा जहां मुकम्मल कोशिश है रात दिन
हुवा बरबाद अब तक पल थे वो कमजोरी के
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शशिकांत शांडीले (SD), नागपूर
भ्र. ९९७५९९५४५०
दि. ०७/०१/२०१६
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शब्द माझे!