==* खुद सोच *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, February 01, 2016, 05:39:14 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

कुछ देखले खुदको बदलकर
जाने मगर तू सोचता क्या है
जिम्मेदारी क्या होनी चाहिये
जाने मगर तू करता क्या है

भूल बैठा तू सोचने की ताकत
बस किसी और का जी रहा है
सारा सच है सामने ही मगर
खुदसेही भागता फिर रहा है

दोष देता है हर किसीको मगर
अपना गिरेबां झांकता नही है
हर वक्त लगा कोसने औरोको
अपनी खामिया धूंडता नही है

क्या करेगा बेनाम जिकर ऐसे
जब तेरा कोई अफ़साना नही है
खुदकी नजरो से उठ जरासा
जमानेकी तुझे जरूरत नही है
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✒शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमणध्वनी - ९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!