एक सैरभैर तारांगणी

Started by विक्रांत, February 02, 2016, 07:37:55 PM

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विक्रांत

एक सैरभैर | प्रश्न वाऱ्यावर |
उगा ताऱ्यावर |
चित्र कोरे ||
मनीचे ओघळ | मनातच विरे |
प्रकाश भोवरे |
पुंजकांचे ||
ओठीपोटी गोठी | दाटती अपार |
चंद्र अलवार |
पाझरतो ||
कोण देतो काय | न ये कळून |
जीव व्याकुळून |
स्तना लुचे ||
फुटलेला पान्हा | देही सांडतांना |
भरल्या दिशांना |
मोह शुभ्र  ||
अरे मागु किती | भरूनही रिती |
विवरांची दाटी |
अंतरात  ||
एक एक फुल | उमले शून्यात |
ग्रह गोलकात |
जीवांकूर ||
भरला विक्रांत | सुखाने आकंठ  |
इंद्रायणी काठ |
तारांगणी  ||

विक्रांत प्रभाकर तिकोणे
http://kavitesathikavita.blogspot.in/